यदि पहले धारामापी की कुंजी तब बैटरी की कुंजी दबाते हैं तब जैसे ही बैट्री की कुंजी दबाई जाती है।
सेतु की विभिन्न भुजाओं में लगी कुण्डलियों में अधिक प्रेरित वि० वा० बल उत्पन्न हो जाता है जिससे मुख्य धारा अपना स्थायी मान कुछ समय पश्चात् प्राप्त करती है।
इससे सेतु की पूर्णतः संतुलनावस्था में भी धारामापी में अधिक विक्षेप होगा ।
अतः प्रेक्षक को भ्रम हो सकता है कि सेतु संतुलनावस्था में नहीं है।
इसीलिए प्रयोग में पहले बैटरी की कुंजी तब धारामापी की कुंजी दबाई जाती है ।