पेरिस शांति सम्मेलन के निर्णयों से असंतुष्ट जर्मनी में उग्र राष्ट्रवाद की भावना जोर पकड़ने लगी।
जर्मनी में नाजीवाद का उदय उग्र राष्ट्रवाद का परिणाम था। 'युद्ध अपराध' का कलंक धोने के लिए जर्मनी व्याकुल और आतुर था।
नाजी क्रांति और हिटलर के अभ्युदय ने जर्मन लोगों की भावना के अनुरूप इस कलंक को धोने का प्रयत्न किया।
उसने अपने खोये हुए प्रदेशों को प्राप्त करना शुरू कर दिया।
वरसार्य की संधि को ठुकरा दिया और शस्त्रीकरण की ओर विशेष ध्यान दिया। उसने जर्मन जनता से कहा – “युद्ध मेरे समय में ही छिड़ जाना चाहिए" हिटलर के उग्रवाद ने युद्ध को अनिवार्य बना दिया।
अतः हम कह सकते हैं कि द्वितीय विश्वयुद्ध हिटलर की आक्रामक नीति का तार्किक परिणाम था।