वैश्विक स्तर पर मुद्रण अपने आदिकाल से भारत में स्वाधीनता आंदोलन तक भिन्न-भिन्न परिस्थितियों से गुजरते हुए आज अपनी उपादेयता के कारण ऐसी स्थिति में पहुंच गया है, कि इससे ज्ञान जगत की हर गतिविधियां प्रभावित हो रही है।
स्वतंत्र भारत (Independent India) में लोकतंत्र के सच्चे प्रहरी के रूप में अपनी भूमिका का निर्वहन कर रहा है।
वर्तमान परिवर्तनकारी युग में प्रेस (Press) स्वास्थ्य मनोविनोद का भी स्रोत बन गया है।
आज की भागदौड़ एवं तनावपूर्ण जीवनशैली (Lifestyle) में भी प्रेस, सिनेमा (Movie) से लेकर खेल-कूद (Sports) से संबंधित समाचारों को प्रमुखता से छापकर पाठकों का मनोरंजन करती है।
आज प्रेस समाज में रचनात्मक का प्रतीक बनता जा रहा है। यह समाज को प्रतिदिन की उपलब्धियों, वैज्ञानिक अनुसंधान, उपकरणों एवं साधनों से परिचित कराता है।
पत्रकार (Journalist), विज्ञान के वरदान और अभिशाप को घटनाओं के माध्यम से समाज के सामने लाते हैं। ताकि सामान्य लोग विश्व कल्याण के बारे में सोचें।
आज प्रेस लोकतंत्र (Democracy) के चौथे स्तंभ के रूप में लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने हेतु सजग प्रहरी के रूप में हमारे सामने खड़ा है। यह वर्तमान राजनीति को सकारात्मक दिशा प्रदान करने के साथ-साथ भ्रष्ट तंत्र पर करारा प्रहार करने का भी प्रयास करता है।