हरे पौधे सौर ऊर्जा (Solar Energy) की सहायता से अपना भोजन बनाते हैं। इन पौधों को शाकाहारी प्राणियों द्वारा खाया जाता है।
जिन्हें फिर मांसाहारी प्राणियों द्वारा भोजन के रूप में ग्रहण किया जाता है। इस प्रकार से खाद्य के आधार पर विभिन्न प्राणियों में एक श्रृंखला की प्रत्येक कड़ी पोषी स्तर कहलाती है।
एक खाद्य या आहार श्रृंखला नीचे दी गई है।
पादप→कीट→मेंढक→सर्प→चील (पक्षी)
उपर्युक्त वर्णित खाद्य श्रृंखला में पांच पद (कड़ियां) है। इनमें से प्रथम पद (First Term) स्वयंपोषी कहलाता है।
इस पद में हरे पौधे शामिल होते हैं, जो सौर ऊर्जा को अपने विभिन्न भागो में संचित कर लेते हैं।
द्वितीय पोषी स्तर में शाकाहारी प्राणी आते हैं। इसे प्रथम परपोषी स्तर कहते हैं।
इसमें कीट, जो अपने भोजन के लिए पादपों पर आश्रित होते हैं, सम्मिलित होते हैं। वे पौधों में निहित ऊर्जा का प्रयोग करते हैं।
तृतीय पोषी स्तर में मांसाहारी प्राणी आते हैं। जैसे मेंढक, शेर, बाघ आदि।
ऊर्जा को कीटों अथवा अन्य शाकाहारियों में निहित होती है। मांसाहारियों में हस्तानांतरित हो जाती है।
सर्प को चतुर्थ पोषी स्तर में रखा जाता है, जो ऊर्जा प्राप्ति के लिए मेंढक का भक्षण करता है।
गिद्ध, चील (पक्षी) ऊर्जा प्राप्ति के लिए सर्प का भक्षण करते हैं। अतः इन्हें पंचम पोषी स्तर में रखा जाता है।
इस स्तर तक पौधों द्वारा संचित सौर ऊर्जा पूर्ण रूप से समाप्त हो चुकी होती है।