गुणसूत्र की खोज वाल्थर् फ्लेमिंग (Walther Flemming) के द्वारा 1882 ईसवी में की गई। यह धागे जैसी संरचनाएं होती है, जो कि यूकैरियोटिक कोशिका के केंद्र में पाई जाती है।
यह डीएनए और हिस्टोन प्रोटीन की बनी होती है। इनके ऊपर दो दाने के समान रचनाएं पाई जाती है, जिसे हम जीन कहते हैं।
गुणसूत्रों में पाए जाने वाले न्यूक्लिक अम्लों में जीवन की सारी जानकारी छिपी होती है। यह जानकारी कोड (अनुवांशिक कोड) के रूप में होती है।
न्यूक्लिक अम्ल दो प्रकार के होते हैं - DNA और RNA