पंचायती राज व्यवस्था का दूसरा प्रमुख अंग पंचायत समिति है। जिसका गठन प्रखंड स्तर पर किया जाता है।
एक प्रखंड के क्षेत्र में जितने गांव सम्मिलित हैं, उसे पंचायत समिति का क्षेत्र माना जाता है। इस क्षेत्र में वे भाग सम्मिलित नहीं होते जो किसी नगरपालिका या नगर निगम के अधिकार में आते हैं।
इसके सभी सदस्यों को चार भागों में विभाजित किया जाता है।
- सीधे निर्वाचित सदस्य, जिनमें से प्रत्येक सदस्य लगभग 5000 की ग्रामीण संख्या के ऊपर निर्वाचित होता है तथा ऐसे सदस्यों की संख्या विभिन्न पंचायत समितियों के क्षेत्र के आधार पर 20 से 24 के बीच तक होती है।
- पंचायत समिति के क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले लोकसभा तथा विधानसभा के सदस्य।
- उस क्षेत्र से संबंधित यदि राज्य सभा अथवा विधान परिषद के कोई सदस्य हो, तो वे भी पंचायत समिति के सदस्य होते हैं।
- पंचायत समिति के क्षेत्र से संबंधित सभी ग्राम पंचायतों के मुखिया
इन चारों श्रेणियों के सदस्यों को पंचायत समिति की सभी बैठकों में भाग लेने और मतदान करने का अधिकार होता है। लेकिन पंचायत समिति के प्रमुख तथा उप-प्रमुख का निर्वाचन करने अथवा उन्हें हटाने के लिए केवल ये सदस्य ही वोट दे सकते हैं, जो पंचायत समिति के निर्वाचित सदस्य होते हैं।
पंचायत समिति के निर्वाचित सदस्य अपने में से किन्ही दो सदस्यों को क्रमशः प्रमुख और उप-प्रमुख के रूप में निर्वाचित करते हैं।
पंचायत समिति के कार्य की अवधि उसकी पहली बैठक की तिथि से 5 वर्ष की होती है।
पंचायत समिति का प्रमुख इसकी बैठकों की अध्यक्षता करता है। इसकी अनुपस्थिति में बैठक की अध्यक्षता उप-प्रमुख के द्वारा की जाती है।
बैठक की कार्यवाही तथा उसके निर्णयों को लिखने का काम प्रखंड विकास पदाधिकारी द्वारा किया जाता है। यही पंचायत समिति का सचिव होता है।
पंचायत समिति कि 2 महीने में - एक बैठक होना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त समिति के एक तिहाई सदस्य कभी भी लिखित रूप से मांग करके अतिरिक्त बैठक भी बुला सकते हैं।
प्रमुख तथा उप-प्रमुख को निर्वाचित सदस्य बहुमत द्वारा अविश्वास प्रस्ताव पास करके हटा सकते हैं।
प्रत्येक पंचायत समिति में तीन स्थाई समितियां होती है।
- सामान्य स्थाई समिति : इस समिति का कार्य संचार, भवन निर्माण, ग्रामीण गृह निर्माण, विपत्ति के समय राहत कार्य, पानी की आपूर्ति तथा सामान्य मामलों को देखना है।
- वित्त, अंकेक्षण तथा योजना समिति : मुख्य रूप से यह समिति बजट का निर्माण और व्यय के विवरण की जांच तथा सभी तरह के वित्तीय प्रस्तावों से संबंधित कार्य करती है।
- सामाजिक न्याय समिति : इस समिति का कार्य क्षेत्र के दुर्बल वर्गों के विकास, सुरक्षा तथा उन्हें विशेष सुविधाएं प्रदान करना है।
व्यवहारिक रुप से पंचायत समिति का मुख्य कार्य अपने क्षेत्र के लिए वार्षिक योजनाएं बनाकर उसे जिला परिषद को प्रस्तुत करना है, जिससे उन योजनाओं को जिला योजना में सम्मिलित किया जा सके।
इसके अलावा पंचायत समिति को राज्य सरकार अथवा जिला परिषद द्वारा समय-समय पर जो कार्य दिए जाते हैं, उन्हें पूरा करना भी उसका दायित्व है।