जल प्रदूषण (Water Pollution) : यह मुख्य रूप से जल में कार्बन-डाइ-ऑक्साइड तथा ऑक्सीजन की कमी, कुछ अवांछित धातुओं की उपस्थिति तथा घातक रोगों के कीटाणुओं की उपस्थिति के फलस्वरुप होता है।
जल प्रदूषण के कारण (Jal Pradushan Ke Karan)
कल-कारखानों से निकले हुए दूषित रासायनिक पदार्थ प्रायः नदियों में बहा दिए जाते हैं। साथ ही नदियों के तट पर स्थित बड़े-बड़े शहरों का मैल सीवर द्वारा नदियों में बहा दिया जाता है। जिससे जल प्रदूषित हो जाता है।
जल में मृत जीव-जंतुओं, कूड़ा-कर्कट या फिर नदी या तालाब में नहाने, कपड़ा साफ करने में डिटर्जेंट पाउडर (Detergent Powder) का उपयोग करने से भी जल प्रदूषित हो जाता है।
जल प्रदूषण का मानव स्वास्थ्य पर घातक प्रभाव पड़ता है। प्रदूषित जल पीने से पीलिया, हैजा, टाइफाइड आदि रोग हो जाता है।
प्रदूषित जल (Polluted Water) खेती योग्य जमीन को भी नष्ट कर देता है। नदियों के जल के प्रदूषित होने से जलीय जीव-जंतु के जीवन पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
जल प्रदूषण को रोकने के उपाय (Jal Pradushan Ko Rokne Ke Upay)
- जल प्रदूषण को रोकने के लिए कूड़ा-कर्कट को जलाशयों में ना डालकर किसी गड्ढे में डाल देना चाहिए।
- सीवर का जल शहर के बाहर दोष रहित ही नदियों में डालना चाहिए।
- जिन फसलों पर कीटनाशक दवाओं (Insecticides) का छिड़काव किया गया, उन खेतों से बहने वाले पानी को वैसे जलाशयों में नहीं जाने देना चाहिए जिनके पानी पीने के काम में आते हैं।
- जिन तालाबों के पानी जानवर (Animal) पीते हो, उन तालाबों पर कपड़े या गंदी वस्तुएं नहीं धोना चाहिए।