मृदा प्रदूषण (Soil Pollution) : मिट्टी में विभिन्न प्रकार के लवण, खनिज तत्व, कार्बनिक पदार्थ, गैंसें व जल तथा अपघटक निश्चित परिमाण एवं अनुपात में होते हैं।
कुछ हानिकारक रसायनों (Harmful Chemicals) के कारण मिट्टी में इन अपघटकों का नाश हो जाता है, जिससे वातावरण में मृत तथा सड़े-गले कार्बनिक पदार्थ एकत्रित होने लगते हैं, और इसका प्राकृतिक संतुलन नष्ट हो जाता है।
मिट्टी (Soil) में विभिन्न पदार्थों की मात्रा एवं उनके अनुपात में उत्पन्न परिवर्तन को ही मृदा प्रदूषण (Mrida Pradushan) कहते हैं।
मृदा प्रदूषण के कारण (Mrida Pradushan Ke Karan)
मृदा प्रदूषण का कारण खेतों एवं विभिन्न प्रकार के उर्वरकों (Fertilizers) का डालना है। इसके अतिरिक्त सबसे बड़ा कारण है, कीटनाशक दवाओं जिसमें डीडीटी, गेमैक्सीन, इल्ड्रीन आदि का छिड़काव है।
ये सब घोल के रूप में तैयार कर फसलों पर छिडके जाते हैं। इसकी कुछ मात्रा मिट्टी में भी मिल जाती है, जो बरसात के दिनों में जल के साथ मिलकर एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचकर मृदा प्रदूषण करते हैं।
मानव शरीर पर मृदा प्रदूषण का घातक प्रभाव पड़ता है। ये पदार्थ मानव शरीर में पहुंचकर अनेक रोग उत्पन्न करते हैं। इसी कारण अनेक देशों में DDT का प्रयोग लगभग बंद कर दिया गया है।
मृदा प्रदूषण रोकने के उपाय (Mrida Pradushan Rokne Ke Upay)
मृदा प्रदूषण रोकने के लिए कृत्रिम उर्वरकों (Artificial Fertilisers) के स्थान पर देशी खाद का उपयोग करना चाहिए।
कीटनाशक दवाओं (Insecticides) का छिड़काव कम-से-कम करना चाहिए।
खाने वाले अनाज में कीटनाशक दवाओं को सीधे नहीं मिलाना चाहिए। ऐसे अनाजों का उपयोग करने से पहले अच्छी तरह धोना चाहिए।