लोकदृष्टि से शिव की नटराज मूर्ति शास्त्रीय नृत्य का प्रतीक है, जिसमें नृत्य के हाव भाव एवं मुद्राओं का समावेश है।
शास्त्रीय नृत्य मूल रूप से शास्त्रीय पद्धति पर आधारित है। शास्त्रीय नृत्य से संबंधित उल्लेख भरतमुनि द्वारा लिखे नाट्यशास्त्र एवं आचार्य नंदकिशोर द्वारा रचित अभिनय दर्पण में मिलता है।
नाट्य शास्त्र में वर्णित मुद्राएँ ही भारतीय शास्त्रीय नृत्य का मूल आधार है।
भारतीय नृत्य परंपरा में शास्त्रीय नृत्य की 4 शैलियां ही प्रचलित थी:- भरतनाट्यम, कथककली, कथक एवं मणिपुरी।
कुचिपुड़ी एवं उड़ीसा को शास्त्रीय नृत्य की मान्यता बाद में मिली। लगभग 25 वर्ष पहले मोहिनीअट्टम को शास्त्रीय नृत्य शैली के रूप में ख्याति मिली।
जबकि सत्रीया नृत्य शैली को संगीत नाटक अकादमी द्वारा 15 नवंबर, 2000 को शास्त्रीय नृत्य की सूची में सम्मिलित किया गया।
इस प्रकार भारत में वर्तमान समय में 8 शास्त्रीय नृत्य प्रचलित है।
- भरतनाट्यम नृत्य
- कथकली नृत्य
- मोहिनीअट्टम नृत्य
- कुचिपुड़ी नृत्य
- ओडिशा नृत्य
- मणिपुरी नृत्य
- कथक नृत्य
- सत्रीया नृत्य