बायोगैस (Biogas) : बायोगैस जीवाश्म ईंधन से बनाया जा सकता है या मृत्य जैवसामग्री से।
बायोगैस हालिया मृत ऑर्गेनिज्म (Dead Organisms) से बनता है, इसलिए यह वातावरण में कार्बन स्तर को नहीं बिगाड़ती।
बायोगैस, जीवाश्म ईंधन (Fossils Fuel)के बजाय इसलिए भी बेहतर है, क्योंकि यह सस्ता नवीनकृत ऊर्जा (Renewable Energy) है।
विकासशील देशों के लिए यह फायदेमंद है क्योंकि इसे छोटे संयंत्रों में बनाया जा सकता है, लेकिन कुछ लोगों का कहना है, कि फसलों से प्राप्त किए जाने वाले ईंधन से खाद्य पदार्थों की कमी हो जाएगी और इससे वन कटाव, जल व मिट्टी में प्रदूषण या तेल उत्पादक देशों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
बायोगैस प्लांट में पशुओं के व्यर्थ पदार्थ या एनर्जी क्रॉप्स के उपयोग से बायोगैस बनाई जाती है। एनर्जी क्रॉप्स से भोजन के बजाय बायोफ्यूल्स (Biofuels) बनाई जाती है।
एनर्जी क्रॉप्स को भोजन के बजाय बायोफ्यूल्स के लिए उगाया जाता है। बायोफ्यूल्स, बायोमास मृत ऑर्गेनिक तत्वों से बनाया जाता है और यह तरल, गैस और ठोस रूप में हो सकता है।
एक बायोगैस प्लांट में एक डाइजेस्टर और गैस होल्डर होता है, जो ईंधन का निर्माण करता है। प्लांट का डाइजेस्टर एयरटाइट होता है, जिसमें व्यर्थ पदार्थ डाला जाता है, और गैस होल्डर में गैस का संग्रहण होता है।
बायोगैस प्लांट का निर्माण गैस की जरूरत और व्यर्थ पदार्थ की उपलब्धता पर निर्भर करता है। साथ ही डाइजेस्टर के बैच कीडिंग या लगातार फीडिंग पर भी बायोगैस प्लांट जमीन की सतह या उसके नीचे बनाया जाता है, और दोनों मॉडलों के अपने फायदे-नुकसान हैं।
सतह पर बना प्लांट रख-रखाव में आसान होता है, और उसे सूरज की गर्मी से भी लाभ होता है, लेकिन इसके निर्माण में अधिक ध्यान देना होता है, क्योंकि वहां डाइजेस्टर के अंदरूनी दबाव पर ध्यान देना होता है।
इसके विपरीत सतह के नीचे स्थित प्लांट निर्माण में आसानी होती है, लेकिन रख-रखाव में मुश्किल होता है।