प्रथम विश्वयुद्ध (First World War) की शुरूआत एक मामूली घटना से हुई। अगर सम्पूर्ण यूरोप गुटों में न बँटा होता और कटुता एवं विद्वेष का माहौल पहले से व्याप्त न होता तो शायद यह घटना नहीं हो पाती। 28 जून 1914 को आर्क ड्यूक फर्डिनेण्ड की बोस्निया की राजधानी साराजेवो में हत्या हो गई। आस्ट्रिया ने इस घटना के लिए सार्विया को जिम्मेवार ठहराया और सार्विया के समक्ष मांगें रखीं। सार्विया ने स्वीकार करने से इनकार कर दिया क्योंकि इसे वह स्वतंत्रता पर कुठाराघात समझता था।
फलत: 28 जुलाई 1914 को आस्ट्रिया ने सार्विया के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी। रूस ने सार्विया को पूर्ण सहायता का वचन दिया और युद्ध की तैयारी करने लगा।
जर्मनी ने 1 अगस्त 1914 को रूस और 3 अगस्त 1914 को फ्रांस के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी। फ्रांस पर दबाव डालने के लिए जर्मन सेनाएँ 4 अगस्त को बेल्जियम में घुस गईं। उसी दिन ब्रिटेन ने जर्मनी के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी और इस तरह यह व्यापक रूप धारण करने लगा। इसी क्रम में दूसरे देश भी लड़ाई में शामिल होते गये। जापान ने सुदूर-पूर्व में जर्मनी के उपनिवेश हथियाने के उद्देश्य से जर्मनी के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी। तुर्की और बुल्गारिया जर्मनी की तरफ हो गए। त्रिगुट का सदस्य होने के बावजूद इटली कुछ समय तक तटस्थ रहा, अंततः वह भी जर्मनी और आस्ट्रिया-हंगरी के खिलाफ युद्ध में शामिल हो गया।
इस प्रकार आर्क ड्यूक फर्डिनेण्ड की हत्या युद्ध के तात्कालिक कारण के रूप में सामने आया।