सर्वप्रथम 1837 ई. में जेम्स प्रिंसेप (James Prinsep) नामक अंग्रेज विद्वान ने अशोक के लेखों (ब्राह्मी लिपि) का उद्वाचन किया, किंतु उन्होंने लेखों के 'देवानांपिय' की पहचान सिंहल के राजा तिस्स से कर डाली। कालांतर में यह तथ्य प्रकाश में आया कि सिंहली अनुश्रुतियोंदीपवंश तथा महावंश में यह उपाधि अशोक के लिए प्रयुक्त की गई है। अंततः वर्ष 1915 में मास्की (कर्नाटक) से प्राप्त लेख में 'अशोक' नाम भी पढ़ लिया गया। अतः उपरोक्त विकल्पों में से विकल्प (4) सही है।