विद्युतीकरण का आधुनिक इलेक्ट्रॉन सिद्धान्त (Modern Electron Theory of Electrification) : इस सिद्धान्त के अनुसार प्रत्येक पदार्थ परमाणुओं (Atoms) से मिलकर बना होता है।
परमाणु का केन्द्रीय भाग नाभिक (Nucleus) कहलाता है, जो प्रोटोनों (Protons) तथा न्यूट्रॉनों (Neutrons) से मिलकर बना होता है।
प्रोटोन धनावेशित मूलकण तथा न्यूट्रॉन आवेश-रहित मूलकण होते हैं। इसलिए नाभिक धनावेशित (Positive Charged) होता है।
नाभिक के चारों ओर कुछ विशिष्ट कक्षाओं में इलेक्ट्रॉन नाभिक भी परिक्रमा करते रहते हैं। इलेक्ट्रॉन ऋणावेशित मूलकण (Negative Charged Particle) होते हैं। इलेक्ट्रॉन पर ऋण-आवेश की मात्रा ठीक उतनी ही होती है जितनी प्रोटोन पर धन आवेश की होती हैं।
अर्थात् इलेक्ट्रॉन पर आवेश - e = -1.6 x 10-19 कूलॉम तथा प्रोटोन पर आवेश + e = +1.6 x 10-19 कूलॉम होता है।
सामान्य अवस्था में प्रत्येक परमाणु विद्युत उदासीन कण होता है, क्योंकि परमाणु में प्रोटोनों और इलेक्ट्रॉनों की संख्या ठीक बराबर होती है।
नाभिक में न्यूट्रॉन तथा प्रोटोन अत्यधिक दृढ़ता से एक-दूसरे से बद्ध रहते हैं, और परमाणु में से इन्हें निकाल पाना अत्यन्त कठिन है। बाहरी कक्षा के इलेक्ट्रॉन नाभिक से कम दृढ़ता से बद्ध रहते हैं।
जब किसी परमाणु में से किसी प्रकार एक अथवा अधिक इलेक्ट्रॉन निकाल दिये जाते हैं, तो वह परमाणु धनावेशित हो जाता है। l
इसके विपरीत किसी परमाणु को बाहर से एक अथवा अधिक इलेक्ट्रॉन दे देने पर वह ऋणावेशित हो जाता है।
इस प्रकार किसी वस्तु का धनावेशित हो जाना उसके परमाणुओं में इलेक्ट्रॉनों की कमी प्रदर्शित करता है, तथा वस्तु का ऋणावेशित हो जाना उसके परमाणुओं में इलेक्ट्रॉनों की अधिकता प्रदर्शित करता है।
स्पष्ट है, कि किसी वस्तु के विद्युतीकरण के लिए इलेक्ट्रॉन ही उत्तरदायी है, न कि प्रोटोन।
दो वस्तुओं को परस्पर रगड़ने पर ऊष्मीय ऊर्जा उत्पन्न होती है, जिससे एक वस्तु के परमाणुओं की बाहरी कक्षा से कुछ इलेक्ट्रॉन निकल कर दूसरी वस्तु में चले जाते हैं।
इलेक्ट्रॉन देने वाली वस्तु इलेक्ट्रॉनों की कमी हो जाने के कारण धनावेशित तथा इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने वाली वस्तु इलेक्ट्रॉनों की अधिकता के कारण ऋणावेशित हो जाती है।
इस प्रकार दोनों वस्तुओं पर समान परिमाण के किन्तु विपरीत प्रकृति के विद्युत आवेश आ जाते हैं।
दो पदार्थों में घर्षण (Friction) द्वारा कौन-सा पदार्थ धनावेशित होगा और कौन-सा ऋणावेशित, यह उनमें इलेक्ट्रॉनों की बंधन-ऊर्जा पर निर्भर करता है।
काँच (Glass) के इलेक्ट्रॉनों की बंधन-ऊर्जा रेशम के इलेक्ट्रानों की बंधन-ऊर्जा से कम होती है, अतः काँच को रेशम से रगड़ने पर इलेक्ट्रॉन काँच से निकल कर रेशम में चले जाते हैं।
इसी प्रकार एबोनाइट के इलेक्ट्रॉनों की बंधन-ऊर्जा बिल्ली की खाल के इलेक्ट्रॉनों की बंधन-ऊर्जा से अधिक होती है, एबोनाइट की छड़ को बिल्ली की खाल से रगड़ने पर इलेक्ट्रॉन बिल्ली की खाल से निकल कर एबोनाइट की छड़ में चले जाते हैं।