नाई-धोबी बंद सामाजिक बायकाट का एक स्वरूप था, जो 1919 में- Nai Dhobi Band Samajik Boycott Ka Ek Swaroop Tha Jo 1919 Mein-
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नाई-धोबी बंद सामाजिक बायकाट का एक स्वरूप था, जो 1919 में- Nai-Dhobi Band Samajik Boycott Ka Ek Swaroop Tha Jo 1919 Mein- 

(a) किसानों द्वारा प्रतापगढ़ जिले में चलाया गया था ।

(b) साधुओं द्वारा चलाया गया आंदोलन जिससे निम्न जाति के लोगों का उद्धार हो सके ।

(c) जमींदारों द्वारा गांव के निम्न जाति के विरुद्ध उठाया गया कदम ।

(d) निम्न जाति द्वारा ठेकेदारों के विरुद्ध उठाया गया आंदोलन ।

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वर्ष 1919 के अंतिम दिनों में किसानों का संगठित  विद्रोह  खुलकर सामने आया। प्रतापगढ़  जिले (Pratapgarh Zila ) की एक जागीर में  नाई-धोबी बंद  सामाजिक बहिष्कार संगठित कार्रवाई की पहली घटना थी। 

झिंगुरी  सिंह  और  दुर्गपाल ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई लेकिन जल्दी ही आंदोलन में एक नया चेहरा उभरा– बाबा  रामचन्द्र, जिन्होंने आंदोलन की बागडोर ही नही संभाली, अपितु उसे और मजबूत एवं जुझारू बनाया। 

बाबा रामचंद्र महाराष्ट्र  के  ब्राह्मण परिवार के थे। वर्ष 1920 के मध्य में वे एक किसान नेता के रूप में उभरे, उन्होंने अवध  के  किसानों को संगठित करना शुरू किया। उनमें संगठन की अद्भुत क्षमता थी।

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