12 मार्च 1930 ईस्वी को गांधीजी ने अपने समर्थकों के साथ साबरमती स्थित अपने आश्रम से लगभग 322 किमी० दूरी डांडी के लिए प्रस्थान किया।
24 दिन के बाद 6 अप्रैल 1930 को डांडी पहुंचकर गांधी जी ने नमक बनाया और नमक कानून को तोड़ा। सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत दांडी यात्रा से ही हुआ।
सुभाष चंद्र बोस ने गांधी जी के नमक सत्याग्रह की तुलना नेपोलियन के एल्बा पेरिस से की।