केशवानंद भारती मामला ने संविधान की मूल संरचना का सिद्धांत निर्धारित किया।
केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य मामला 1973 में आया था। केशवानंद भारती मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्णय दिया कि संसद संविधान के मूल ढाँचे में संशोधन नहीं कर सकती है।
- इंदिरा साहनी मामला आरक्षण से संबंधित था जिसमें आरक्षण को अधिकतम 50% रखा गया था।
- इंदिरा साहनी मामला 1992 में आया था।
- शंकरी प्रसाद मामला 1951 के तहत संसद को मौलिक अधिकारों सहित संविधान के किसी भी भाग में संशोधन का अधिकार था।
- गोलकनाथ मामला 1967 में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि संसद मौलिक अधिकार में संशोधन नहीं कर सकती है।
- गोलकनाथ मामला में यह भी कहा गया कि मौलिक अधिकार में संशोधन की शक्ति सिर्फ "संविधान सभा" के पास है (जो नहीं है) ।