सह- लग्नता तथा सह-लग्नता वर्ग क्या हैं? सह-लग्नता का प्रभाव एवं इसकी महत्ता के बारे में लिखें।
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सह- लग्नता तथा सह-लग्नता वर्ग क्या हैं? सह-लग्नता का प्रभाव एवं इसकी महत्ता के बारे में लिखें। Sah-lagnta tatha sah-lagnta varg kya hai? Sahlagnta ka Prabhav Avn Iski Mahtta Ke Bare Mein Likhen.

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लिंकेज- एक ही गुणसूत्र पर उपस्थित एक से अधिक वे जीन हैं जो साथ-साथ वंशानुगत होते हैं, लिंक्ड जीन कहलाते हैं और यह घटना लिंकेज कहलाता है।

लिन्केज समूह (Linkage Groups)- लिन्केज ग्रुप रेखीय रूप से व्यवस्थित जीनों का समूह होता है जो गुणसूत्रों पर उपस्थित होते हैं।

एक लिन्केज समूह एक प्रकार के गुणसूत्र पर होता है। दो समजात गुणसूत्र जीन स्थिति की संख्या व व्यवस्था में समान होते हैं।

इसलिए ये समान प्रकार के लिन्केज समूह रखते हैं। यह लिन्केज समूहों की सीमाओं के रूप में जाना जाता है। एक जीवधारी में उपस्थित लिन्केज समूहों की कुल संख्या एक जीनोम में उपस्थित गुणसूत्रों की संख्या के या द्विगुणित जीवधारियों में समजात युग्मों की संख्या के बराबर होती है।

यह मनुष्य में 23 ( गुणसूत्रों के 23 जोड़े), खाने योग्य मटर में 7 (गुणसूत्रों के 7 जोड़े), मक्के में 10 (गुणसूत्रों के 10 जोड़े), ड्रोसोफिला मिलेनोगेस्टर में 4 ( गुणसूत्रों के 4 जोड़े) होते हैं।

लिन्केज समूह का आकार गुणसूत्र के आकार पर निर्भर करता है अर्थात् छोटे गुणसूत्र छोटे लिन्केज समूह वाले होते हैं जबकि लम्बे गुणसूत्र लम्बे लिन्केज समूह वाले होते हैं। समान समूह के दो जीनों के बीच हुई लिन्केज की प्रबलता के बीच अन्तर होता है।

मॉरगन व स्टर्टीबेन्ट (1911) द्वारा बताया गया कि लिन्केज की प्रबलता दो लिन्क जीनों के बीच की दूरी के व्युत्क्रमानुपाती होती है।

लिन्केज समूहों की महत्ता-

(i)लिन्केज समूह व विनिमय की घटना दर्शाती है कि जीन गुणसूत्र पर स्थित होते हैं ।

(ii)ये जीवधारी की विशिष्ट प्रजातीय व परिवर्तन विशेषकों को बनाये रखते हैं ।

(iii)लिन्केज, सुधरी हुई प्रजातियों के कारण उनके लक्षण लम्बे समय तक बने रहते हैं ।

(iv)एक लिन्केज समूह विभिन्न प्रकार के विशेषकों- कुछ लाभदायक व कुछ हानिकारक को रखता है। दोनों को अलग करना कठिन होता है। इसीलिए, कुछ सुधरी हुई प्रजातियों में भी हानिकारक विशेषक बने रहते हैं।

(v)लिन्केज प्रजनक को एक प्रजाति में सभी उपयोगी विशेषकों को लाने से नहीं बल्कि विनिमय के कारण एक साथ आ जाते हैं।

(vi) दो पूर्ण रूप से जुड़े लिन्क जीन एक दूसरे के प्रभाव को नजरंदाज कर देते हैं। उदाहरण- अस्पष्ट (fuzzy seeds) बीज, व उच्च गाइनिंग (ginning) या नग्न बीज व कपास में कम गाइनिंग।

(vii)कुछ जल्दी प्रकट होने वाले जीन चिह्नित जीन (marker genes) के रूप में प्रयोग किये जाते हैं जिससे कि देर से प्रकट लिन्क जीनों के बारे में जान सकें।

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