फ्रांस का तत्कालीन सम्राट लुई सोलहवाँ एक निरंकुश एवं अयोग्य शासक था ।
वह सदा भोग-विलास और ऐश्वर्य में लीन रहता था। अपने अधिकारियों पर उसका कोई नियंत्रण नहीं था।
वे सदा मनमानी करते थे। राज्य में अन्याय एवं अत्याचारों का बोलबाला था।
शासन नाम की कोई चीज नहीं थी। देश के प्रत्येक भाग में विभिन्न न्यायालय एवं कानून लागू थे।
जनसाधारण पर करों का भार था। जनता के अधिकारों, कर्त्तव्यों एवं स्वतंत्रता के ठीक अर्थ का किसी को पता नहीं था।
केन्द्रीयकरण की प्रवृत्ति फ्रांसीसी क्रांति की सबसे महत्त्वपूर्ण कारण था।
अत: 1789 तक आते आते जनसाधारण शासन में भाग लेने के लिए उतावला होने लगी।