मनुष्य में पित्त, जटिल वसा का विखंडन तथा पायसीकरण करता है। हमारे शरीर में वसा का पाचन आहारनाल की क्षुद्रांत्र में होता है।
यकृत से निकलने वाला क्षारीय पितरस, आए हुए भोजन के साथ मिलकर उसकी अम्लीयत को निष्क्रिय करके उसे क्षारीय बना देता है। जिसकी इसी प्रकृति पर अग्न्याशयिक रस सक्रियता से कार्य करता है।
पित्तरस वसा को सूक्ष्म कणों में तोड़ देता है। इस क्रिया को इमल्सीकरण क्रिया कहते हैं। लाइपेज एंजाइम, जो कि अग्न्याशयिक रस में पाया जाता है, इमल्सीफाइड वसा को वसीय अम्ल तथा ग्लिसरॉल में परिवर्तित कर देता है।