ओम का नियम (Ohm's Law) : नियत ताप पर किसी चालक में प्रवाहित हो रही धारा (I) उसके सिरों के बीच आरोपित विभवांतर (V) के समानुपाती होती है।
अर्थात, l ∝ V या I = V/R, जहाँ नियतांक R चालक का प्रतिरोध कहलाता है।
ताप के बढ़ने से चालक का प्रतिरोध बढ़ता है और ताप के घटने से प्रतिरोध घटता है। चालक के सिरों के बीच विभवांतर और उससे होकर प्रवाहित धारा का अनुपात उस चालक का प्रतिरोध (Resistance) कहलाता है।
अतः, यह अनुपात नियत होगा यदि ताप नियत रहे। अतएव, ओम के नियम में चालक का ताप नियत बताया जाता है।