भारतीय परिषद् एक्ट 1909 (Indian Council Act 1909) को मुख्यतः मार्ले-मिन्टों सुधार (Morley-Minto Reform) के नाम से जाना जाता है
मार्ले-मिन्टों सुधार के द्वारा केंद्रीय विधायिका परिषद् में सदस्यों की संख्या का विस्तार किया गया। इस सुधार के द्वारा प्रथम बार वायसराय के कार्यकारिणी में एक भारतीय की नियुक्ति की गई।
वायसराय के कार्यकारिणी परिषद में नियुक्ति होने वाला प्रथम व्यक्ति सत्येंद्र प्रसाद सिन्हा (Satyendra Prasad Sinha) थे। इन्हें विधि सदस्य बनाया गया था।
भारतीय परिषद् एक्ट 1909 के द्वारा मुसलमानों के लिए अलग निर्वाचण-मंडल का प्रावधान किया गया, जो सम्प्रदायिकता के आधार पर किया गया।
इस प्रकार 1909 के एक्ट द्वारा ब्रिटिश सरकार ने औपचारिक रूप से सम्प्रदायिकता का बीजारोपण कर दिया।
1857 ई० की महान क्रांति के बाद ही अंग्रेज ने 'फूट डालो और शासन करो' की नीति का सहारा लिया।
अलीगढ़ आंदोलन के द्वारा इस व्यवस्था का विकास हुआ और 1909 ई० एक्ट द्वारा इसको कानूनी मान्यता दी गई।
देश का विभाजन इसकी चरम अवस्था थी, क्योंकि देश का बंटवारा धर्म के आधार पर हुआ था।