विदयुत मोटर (Vidyut Motor) एक ऐसी युक्ति है, जो विद्युत ऊर्जा (Electrical Energy) को यांत्रिक ऊर्जा (Mechanical Energy) में परिणत कर देता है। विद्युत मोटर का उपयोग विद्युत पंखों, कपड़ा धोने की मशीन, रेफ्रिजरेटरों इत्यादि के निर्माण में प्रमुख घटक के रूप में किया जाता है।
विद्युत मोटर में एक नाल चुम्बक होता है। जिसे क्षेत्र चुम्बक कहते हैं। प्रायः क्षेत्र चुम्बक विद्युत चुम्बक ही होता है।
चुम्बक के ध्रुव खंडों के बीच नर्म लोहे की प्लेटों से बने क्रोड पर लिपटी ताँबे तार की कुंडली होती है जिसके फेरों की संख्या काफी अधिक होती है।
इसे मोटर का आर्मेचर (Armature) कहते हैं। आर्मेचर के छोर पीतल के खंडित वलयों से जुड़े रहते हैं। इन वलयों को कार्बन के ब्रश स्पर्श करते रहते है।
विद्युत मोटर की क्रिया (Action of Electric Motor) —
जब आर्मेचर से विद्युतधारा प्रवाहित की जाती है, तो आर्मेचर की वे दो भुजाएँ AB तथा CD जो चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा के लम्बवत् होती है, फ्लेमिंग के वामहस्त नियमानुसार बल का अनुभव करती है।
ये बल मान में समान लेकिन दिशा में विपरीत होते हैं। इसलिए ये बल-युग्म (Couple) बनाते हैं जिसके कारण आर्मेचर घूर्णित होता है।
आधे घूर्णन के बाद जब CD भुजा ऊपर चली जाती है और AB भुजा नीचे आ जाती है तो वलयों के स्थान का अदला-बदली हो जाती है एवं आर्मेचर पर लगा बल युग्म आर्मेचर को लगातार एक ही दिशा में घुमाता रहता है। इसलिए इसे डी०सी० मोटर भी कहा जाता है।
नोट : विद्युत मोटर के आर्मेचर की धुरी पर यदि ब्लेड लगा दिए जाएँ तो मोटर विद्युत पंखा बन जाएगा।