लार्ड लिटन (Lord Litton) के काल को भारतीय राष्ट्रवाद का बीजांकुरण काल कहा जाता है।
लॉर्ड लिटन भारत का सबसे अलोकप्रिय वायसराय था इसने 1878 में भाषायी समाचार पत्र पर प्रतिबन्ध के लिए वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट (Vernacular Press Act) को लागू किया एवं इसी के अन्य प्रतिबंधात्मक नीति के फलस्वरूप भारत में राष्ट्रवाद का उदय हुआ। वर्नाक्यूलर एक्ट मुख्यतः सोमप्रकाश (Somprakash), समाचार दर्पण (Samachar Darpan) जैसे समाचार-पत्रों के विरूद्ध में लाया गया था।
अमृत बाजार पत्रिका (Amrit Bajar Patrika), वर्नाक्यूलर एक्ट से बचने के लिए रातो-रात बंगाली से अंग्रेजी भाषा में छापने लगा।