भारत में मुख्यतः चार प्रकार की खेती होती है।
(i) झूम खेती: आज भी पहाड़ी क्षेत्रों में बहुत से आदिवासी समाज में झूम खेती प्रचलित है। इसके तहत, कृषक पारम्परिक खेती करते हैं। फसल उत्पादन से ही कुछ बीज वे अगले फसल के लिए रख देते हैं।
(ii) पारंपरिक खेती: आज भी भारत के कुछ क्षेत्रों में पारंपरिक खेती प्रचलित है। इसके तहत कृषक पारंपरिक खेती करते हैं। फसल उत्पादन से ही कुछ बीज वे अगले फसल के लिए रख देते हैं।
(iii) गहन खेती : गहन खेती का तात्पर्य है, एक ही खेत में अधिक फसल उगाना। जिन क्षेत्रों में सिंचाई संभव है, उन क्षेत्रों में कृषक उर्वरकों, कीटनाशकों और कृषि यंत्रों का प्रयोग कर कृषि उत्पादन में वृद्धि की है।
(iv) रोपण खेती : रोपण कृषि एक विशेष प्रकार की झाड़ी कृषि है। यह एकल फसल कृषि है। इसमें रबर, कहवा, चाय, नारियल, केला, सेब, अंगूर, संतरा आदि उगाई जाती है।