भारत में गेहूँ की खेती के लिए उपयुक्त भौगोलिक दशाओं का वर्णन कीजिए। Bharat Mein Gehu Ki Kheti Ke Liye Upyukt Bhaugolik Dashao Ka Varnan Kijiye
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भारत में गेहूँ की खेती के लिए उपयुक्त भौगोलिक दशाओं का वर्णन कीजिए। Bharat Mein Gehu Ki Kheti Ke Liye Upyukt Bhaugolik Dashao Ka Varnan Kijiye

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गेहूँ उत्पादन की उपयुक्त भौगोलिक दशाएँ— गेहूँ शीतोष्ण कटिबंधीय फसल है। अतः इसकी खेती मुख्यतः कर्करेखा के उत्तर पश्चिमोत्तर भारत में होती है।

गेहूँ को बोते समय 10° से 15° से०ग्रेड तथा पकते समय 20° से 30° से०ग्रेड तापमान उपयुक्त होता है। इसके लिए 50 से 75 सेमी० वर्षा उपयुक्त होती है।

वर्षा के अभाव में सिंचाई का समुचित प्रबंध अनिवार्य हो जाता है। फसल पकते समय तेज धूप एवं शुष्क ताप आवश्यक है।

गेहूँ की खेती किसी भी मिट्टी में हो सकती है, किन्तु हल्की दोमट मिट्टी तथा काली मिट्टी गेहूँ के लिए उपयुक्त मानी जाती है।

गेहूँ की खेती में भी कुशल श्रमिकों की आवश्यकता पड़ती है, किन्तु अब पंजाब, हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश में ट्रैक्टर से जुताई तथा थ्रैसर से दमाही होने लगी है। अब बिहार में भी इसका प्रयोग होने लगा है।

भारत में गेहूँ रब्बी की फसल है। इसकी बुआई नवम्बर-दिसम्बर में होती है तथा मार्च-अप्रैल में काट ली जाती है।

इस अवधि में ही भारत में गेहूँ उत्पादन की उपयुक्त दशा मिलती है।

इसकी खेती में अधिक वर्षा और अधिक तापमान नुकसानदेह है। इसी कारण बंगाल-असम के महत्त्वपूर्ण धान क्षेत्र गेहूँ के प्रमुख क्षेत्र नहीं बन पाये हैं।

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