द्रव्यमान-ऊर्जा संबंध (Mass - Energy Relation) : 1905 ई. में आइन्स्टीन ने द्रव्यमान एवं ऊर्जा के बीच एक संबंध स्थापित किया जिसे आपेक्षिकता का सिद्धान्त (Theory of Relativity) कहा जाता है। इसके अनुसार द्रव्यमान एवं ऊर्जा एक-दूसरे से स्वतंत्र नहीं हैं, बल्कि दोनों एक-दूसरे से संबंधित हैं तथा प्रत्येकपदार्थ में उसके द्रव्यमान के कारण ऊर्जा भी होती है। यदि किसी वस्तु का द्रव्यमान m एवं प्रकाश का वेग है, तो इस द्रव्यमान से सम्बद्ध ऊर्जा, E = mC² होती है।
नोट: आइन्स्टीन जर्मनी में जन्में अमेरिकी वैज्ञानिक थे जिन्हें 1921 ई. का भौतिकी में नोबल पुरस्कार मिला।
सूर्य से पृथ्वी को लगातार ऊर्जा ऊष्मा के रूप में प्राप्त हो रही है, जिसके फलस्वरूप सूर्य का द्रव्यमान लगातार घटता जा रहा है। आँकड़ों के अनुसार सूर्य से पृथ्वी को प्रति सेकेण्ड 4 × 10²⁶ जूल ऊर्जा प्राप्त हो रही है, जिसके फलस्वरूप इसका द्रव्यमान लगभग 4 × 10⁹ kg प्रति सेकेण्ड की दर से घट रहा है। परन्तु सूर्य का द्रव्यमान इतना अधिक है कि वह लगातार एक हजार करोड़ वर्षों तक इसी दर से ऊर्जा देता रहेगा।