हाइड्रोफोबिया या रेबीज (Hydrophobia or Rabies) : यह एक संघातिक रोग है जिसका संक्रमण केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र में होता है। इसका संक्रमण पागल कुत्ते, भेड़िये, लोमड़ी आदि के काटने से होता है, क्योंकि यह रोग सर्वप्रथम इन्हीं जन्तुओं में होता है। इनके काटने से रोग के विषाणु शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और समुचित समय पर चिकित्सा न की जाने पर केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करते हैं।
यह रोग दो रूपों में देखने को मिलता है। एक में उत्तेजना होती है, जल से भय उत्पन्न होता है और रोगी की आवाज कुत्ते के भूंकने जैसी निकलती है। दूसरे में रोगी को पक्षाघात (Paralysis), तेज ज्वर और भयंकर सिरदर्द होता है तथा वमन (Vomiting) करने की प्रवृत्ति और बेचैनी महसूस होती है।
उपचार : रेबीजरोधी (Antirabies) टीका लगवाना चाहिए। इस टीके की खोज लुई पाश्चर ने किया था। घाव को शुद्ध कार्बोलिक या नाइट्रिक एसिड से धो देना चाहिए।