प्रतिरोध (Resistance) : प्रतिरोध वह युक्ति है जिसका उपयोग कर परिपथ में बहने वाली धारा को कम किया जाता है।
जब तार से विद्युत धारा बहाई जाती है, तो तार के इलेक्ट्रॉनों के बीच टक्कर होती है, जो धारा को कम करता है और धारा के बहने में रुकावट पैदा करती है। इस रुकावट को प्रतिरोध कहते हैं।
किसी चालक का प्रतिरोध चालक की लंबाई, चालक के अनुप्रस्थ परिच्छेद के क्षेत्रफल तथा चालक के स्वभाव पर निर्भर करता है।
अचर ताप पर किसी चालक में बहने वाली विद्युत धारा की शक्ति चालक में उत्पन्न विभवांतर के समानुपाती होता है।
मान लिया कि चालक में बहने वाली धारा I है और चालक में उत्पन्न विभवांतर V है, तो ओम के नियम से, V Proportion to I, जबकि ताप अचर है।
इसलिए V = IR
जहां R एक अचर राशि है। इसे चालक का प्रतिरोध कहा जाता है।
इसलिए I = V/R
धारा का मात्रक एंपियर, विभव का मात्रक वोल्ट और प्रतिरोध का मात्रक ओम होता है।
चित्र में एक विद्युत परिपथ दिखाया गया है। इसमें बैटरी, एमीटर तथा प्रतिरोध R श्रेणीक्रम में परिपथ में संयोजित है। V वोल्टमीटर को समानांतर क्रम में जोड़ा गया है।
विद्युत परिपथ में कुछ प्रतिरोध देकर धारा बहायी जाती है। ऐमीटर तथा वोल्टमीटर का पठन नोट किया जाता है।
अगर ऐमीटर का पठन I1 और इसके संगत वोल्टमीटर का पठन V1 है, तो V1/I1 का मान निकाला जाता है।
ऐसे तीन पठनों से V और I के मान को नोट कर जांच किया जाता है, कि हरेक पठन में V/I का मान अचर होता है।
अगर अन्य दो पठनों में धारा के मान क्रमश: I2, I3 विभवांतर का मान V2 और V3 है, तो प्रयोगों से पाया जाता है, कि
V1/I1 = V2/I2 = V3/I3 = R