(i) क्योंकि ऐसे पौधों में शरीर के वर्धि भागों के माध्यम से नये पौधे उत्पन्न करने की क्षमताएँ होती हैं।
(ii) कायिक प्रवर्धन द्वारा विकसित किये गये पौधों में फूल और फल शीघ्र आते हैं।
(iii) कायिक प्रवर्धन द्वारा उगाये गये पौधों में सभी पैत्रिक क्षमताएँ पायी जाती हैं।