विद्युत धारा का ऊष्मीय प्रभाव को बताएंl
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विद्युत धारा का ऊष्मीय प्रभाव को बताएंl

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जब किसी चालक तार में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो वह गर्म हो जाता है, अर्थात् चालक तार में ऊष्मा उत्पन्न होती है। इस घटना को धारा का ऊष्मीय प्रभाव कहते हैं। ऊष्मागतिकी के अनुसार, यह अनुत्क्रमणीय घटना है अर्थात् इस ऊष्मा-ऊर्जा का पुनः विद्युत ऊर्जा में परिवर्तन नहीं हो सकता। -

ऊष्मा उत्पन्न होने का कारण – चालक तार के सिरों पर विभवान्तर लगाने पर तार में धन सिरे से ऋण सिरे की ओर एक विद्युत क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है जिसके प्रभाव में मुक्त इलेक्ट्रॉनों में विद्युत क्षेत्र के विपरीत दिशा में एक त्वरण उत्पन्न हो जाता है।

 इससे उनकी गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है। ये मुक्त इलेक्ट्रॉन चालकं में उपस्थित धनायनों तथा अन्य इलेक्ट्रॉनों से टकराकर अपनी ऊर्जा उन्हें दे देते हैं। इस ऊर्जा के कारण धनायनों के कम्पन का आयाम बढ़ जाता है।

 बार-बार त्वरित इलेक्ट्रॉनों के टकराने से धनायनों की अनियमित कम्पन गति बढ़ जाती है। उनकी यही ऊर्जा ऊष्मा के रूप में प्रकट होती है जिससे चालक तार गर्म हो जाता है। इस प्रकार बैटरी से परिवर्तन हो जाता है।

प्राप्त विद्युत ऊर्जा का ऊष्मीय ऊर्जा में अनुत्क्रमणीय धारा के ऊष्मीय प्रभाव के आधार पर ही विद्युत बल्ब, विद्युत आयरन, हीटर (heater), टोस्टर (toaster), इमरसन रॉड, सोल्डर रॉड आदि युक्तियाँ बनाई जाती हैं।

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