उत्क्षेप को बताएंl Utkshep Ko Bataen.
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उत्क्षेप को बताएंl Utkshep Ko Bataen.

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जब एक लकड़ी के टुकड़े को पानी में पूर्णरूप से डुबोने का प्रयास किया जाता है तो उस पर नीचे की ओर बल लगाकर ही ऐसा करना सम्भव हो पाता है। 

यदि किसी गहराई पर ले जाकर इस टुकड़े को छोड़ दिया जाता है तो यह स्वतः ही ऊपर आकर पानी पर तैरने लगता है।

 इस प्रयोग से ऐसा अनुभव होता है कि द्रव में जब किसी वस्तु को डुबोते हैं तो उस पर ऊपर की ओर एक बल लगता है और इसी कारण लकड़ी के टुकड़े को पूर्णत: पानी में डुबोने के लिए उस पर बाहर से एक बल नीचे की ओर लगाना पड़ता है।

इसी प्रकार धातु या पत्थर के भारी टुकड़े को अथवा पानी से भरी बाल्टी को यदि रस्सी से बाँधकर कुएँ में लटकाएँ, तो जब तक धातु या पत्थर का टुकड़ा अथवा बाल्टी पानी में डूबी रहती है, तब तक हल्की प्रतीत होती है।

 जैसे ही रस्सी द्वारा उन्हें खींचकर बाहर हवा में लाया जाता है, वह अधिक भारी प्रतीत होती है।

 यह अनुभव भी इसी बात का प्रमाण है कि जब कोई वस्तु किसी द्रव में डुबोयी जाती है तो द्रव उस पर ऊपर की ओर एक बल आरोपित करता है जिसके कारण हमें यह अनुभव होता है कि वस्तु अपने वास्तविक भार से कुछ हल्की हो गई है। 

द्रव के इस गुण को जिसके कारण वह वस्तुओं पर ऊपर की ओर बल आरोपित करता है, उत्क्षेप (upthrust or buoyancy) कहते हैं और इस गुण के कारण जितना बल वस्तु पर ऊपर की ओर कार्य करता है, उसे उत्प्लावन बल (Force of buoyancy) कहते हैं। 

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