अबूबकर के खलीफा बनने के समय पूर्वी एवं पश्चिमी रोमन साम्राज्य एवं ईरान में परिस्थितियाँ इस्लामी विजय के अनुकूल थी।
मोहम्मद साहब द्वारा भरे गये आत्मविश्वास, साहस एवं नवीन जोश के साथ अबूबकर के नेतृत्व में अरब जाति इस्लामी तलवार लेकर विश्व में एक अल्लाह की सत्ता स्थापित करने निकल पड़ी।
मोहम्मद साहब की मृत्युपरान्त 632 ई. में ही मुसलमानों को विजय यात्रा आरम्भ हुई। अबूबकर दस वर्ष तक (632-642 ई.) शासन करते रहे। इन्हीं के समय अरब सेवा ने खालिद के नेतृत्व में रोम को परास्त कर दमिश्क ले लिया।
इस प्रकार विश्व इतिहास में प्रथम बार रेगिस्तान के अरब वाशिन्दों को रोम जैसे समृद्ध व संस्कृति राज्य के एक भाग पर शासन करने का मौका प्राप्त हुआ।
फिलीस्तीन पर भी अरबों का कब्जा हो गया। 639 ई. में नहाबन्द के युद्ध में ईरान को भी परास्त कर दिया गया। ससानी वंश के अन्तिम शाह यज्दगई . III को अरबों से जान बचाकर भागने को मजबूर होना पड़ा।
रोमन साम्राज्य के सम्पर्क में आने से इस संघर्षशील अरब कबीला जाति में सादगी के स्थान पर विलासिता का आरम्भ हुआ।