ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम उष्मा के प्रवाहित होने की दिशा नहीं बताता। ऊष्मागतिकी का द्वितीय नियम उष्मा के प्रभाहित होने की दिशा को व्यक्त करता है। इस नियम को दो कथनों के रूप में व्यक्त किया जाता है, जो निम्न है -
(1) केल्विन के कथन के अनुसार, उष्मा का पूर्णतया कार्य में परिवर्तन असंभव है।
(2) क्लासियस के कथन के अनुसार, उष्मा अपने कम ताप की वस्तु से अधिक ताप की वस्तु की और प्रवाहित नहीं हो सकती है।