यदि दो वस्तुएँ A तथा B किसी अन्य वस्तु C के साथ अलग-अलग ऊष्मीय साम्यावस्था में हैं, तो वस्तु A तथा वस्तु B भी परस्पर ऊष्मीय साम्यावस्था में होंगी ।
माना कि दो वस्तुएँ A तथा B हैं । एक तीसरी वस्तु C है जो माना कि एक तापमापी है।
वस्तुएँ A और B एक-दूसरे से विलग हैं। अब हमें यह ज्ञात करना है कि वस्तुएँ A व B परस्पर ऊष्मीय साम्यावस्था में हैं, अथवा नहीं। पहले हम वस्तु C को (अर्थात् तापमापी को) A के सम्पर्क में तब तक रखते हैं जब तक कि वे ऊष्मीय साम्यावस्था में न आ जायें ।
इस अवस्था में C का ताप स्थिर हो जायेगा । अब हम वस्तु C (तापमापी) को B के सम्पर्क में तब तक रखते हैं, जब तक कि B तथा C ऊष्मीय साम्यावस्था में न आ जायें। इस अवस्था में C का ताप पुनः स्थिर हो जायेगा। यदि तापमापी साम्यावस्था में होंगी ।
के दोनों पाठ्यांक समान प्राप्त हों, तो वस्तुएँ A और B परस्पर ऊष्मीय ऊष्मागतिकी का शून्यवाँ नियम हमें ताप की अवधारणा देता है।
ताप किसी वस्तु का वह गुण है, जिससे हमें ज्ञात होता है कि वह वस्तु किसी दूसरी वस्तु के साथ ऊष्मीय साम्यावस्था में है, अथवा नहीं ।