प्रकाश तरंगों के व्यतिकरण का सिद्धांत प्रकाश की तरंग प्रकृति की पुष्टि करता है। थॉमस यंग ने सर्वप्रथम 1802 ईस्वी में प्रकाश के व्यतिकरण को प्रयोगात्मक रूप से दर्शाया।
जब समान आवृत्ति व समान आयाम की दो प्रकाश तरंगें जो मूलतः एक ही प्रकाश स्रोत से किसी माध्यम में एक ही दिशा में गमन करती है।
तो उनके अध्यारोपण के फलस्वरुप प्रकाश की तीव्रता में परिवर्तन हो जाता है। इस घटना को प्रकाश का व्यतिकरण (interference of light) कहते हैं।