कनिष्क के शासनकाल में बौद्ध सभा कश्मीर (Kashmir) में आयोजित की गई थी।
बौद्ध धर्म की चौथी और अंतिम संगीति सभा कुषाण शासक कनिष्क के राज्यकाल में कश्मीर के कुण्डलवन में हुई।
इसकी अध्यक्षता वसुमित्र ने की थी। अश्वघोष इसके उपाध्यक्ष थे। यहां बौद्ध ग्रंथों के कठिन अंशों पर सम्यक् विचार किया गया और प्रत्येक पिटक पर भाष्य लिखे गये।
कनिष्क ने इन्हें ताम्रपत्रों पर खुदवाकर एक स्तूप में रखवा दिया। त्रिपिटक में लिखे गये इन्हीं भाष्यों को विभाषाशास्त्र कहा जाता है।
उल्लेखनीय है, कि पहली बौद्ध संगीति बुद्ध की मृत्यु के तत्काल बाद राजगृह की सप्तपर्णि गुफा में हुई। इस समय मगध का शासक अजातशत्रु था। इसकी अध्यक्षता महाकस्सप ने की थी।
द्वितीय बौद्ध संगीति कालाशोक के शासनकाल में बुद्ध की मृत्यु के लगभग 100 वर्षों पश्चात् वैशाली में हुई थी। इसके अध्यक्ष आचार्य साबकमीर (सर्वकामिनी) थे।