फिरोज शाह तुगलक (Firoz Shah Tughlaq) के दरबार में सबसे अधिक गुलाम (Slaves) थे ।
फिरोज शाह तुगलक को दासों का बहुत शौक था। उसके दासों की संख्या सम्भवतः एक लाख अस्सी हजार तक पहुंच गई थी।
उनकी देखभाल के लिए एक पृथक विभाग (दीवान-ए-बंदगान) का गठन किया गया था। उन दासों की शिक्षा का पूर्ण ध्यान रखा जाता था।
प्रत्येक दास को 10 से 100 टके के बीच वेतन मिलता था तथा कभी-कभी जागीरें भी मिलती थीं। फिरोज का यह शौक राज्य के लिए हानिकारक सिद्ध हुआ।