दिसंबर, 1856 में सरकार ने पुराने लोहे वाली बंदूक ब्राउन बेस (Brown Bess) के स्थान पर नवीन ऐनफील्ड राइफल (New Enfield Rifle) के प्रयोग का निश्चय किया।
इन राइफलों में दमदम, अंबाला और स्यालकोट में बने चर्बीयुक्त कारतूसों का प्रयोग किया जाना था, जिसमें गाय और सूअर की चर्बी लगी होती थी।
इस नई राइफल में कारतूस के ऊपर भाग को मुंह से काटना पड़ता था। जनवरी, 1857 में बंगाल सेवा में यह अफवाह फैल गई कि चर्बी वाले कारतूस में गाय और सूअर की चर्बी है।
सैनिक अधिकारियों ने इस अफवाह की जांच किए बिना तुरंत इसका खंडन कर दिया। किंतु सैनिकों को विश्वास हो गया कि चर्बी वाले कारतूसों का प्रयोग उनके धर्म को भ्रष्ट करने का एक निश्चित प्रयत्न है और यही कारतूस 1857 के विद्रोह का तात्कालिक कारण बना।