त्रिगुट में जर्मनी, आस्ट्रिया-हंगरी और इटली शामिल थे तथा त्रिदेशीय संधि में फ्रांस, रूस और ब्रिटेन शामिल थे।
इन दोनों गुटों में शामिल देशों का प्रमुख उद्देश्य, अपने अधीन उपनिवेशों का विस्तार करना था।
इन गुटों का उद्देश्य अन्य देशों के प्रति घृणा फैलाना, अपने देश को दूसरों से श्रेष्ठ बतलाना तथा युद्ध को गौरवपूर्ण सिद्ध करना था।
इनका अन्य उद्देश्य अपनी सैन्य शक्ति को बढ़ाना, अपनी सेना तथा नौसेना का आकार बढ़ाना, नये और अपेक्षाकृत अधिक संघातिक हथियारों का विकास करना था तथा ये अपने को युद्ध के लिए सामान्यतया तैयार रखने के लिए अपार धनराशि खर्च करने लगे थे।