विद्यापति विरचित पुरुष परीक्षा नामक ग्रंथ से उद्धृत आलसकथा (Alas Katha) में आलस्य के निवारण की प्रेरणा और संसार के विचित्र गतिविधियों का विवरण है।
आलसियो को केवल करुणा का पात्र मानते हुए दान करने की इच्छा से मिथिला के मंत्री वीरेश्वर आलससाला का निर्माण करवाते हैं।
उनकी जिज्ञासा थी कि आलसी लोग कैसे जीवन जीने की कला का निर्वहन करते हैं। इस क्रम में ईस्ट लाभ के लिए घूर्त और परिश्रमी भी आलसी बनकर पहुंच जाते हैं।
आलसियो की बढ़ती संख्या को देखकर उसकी परीक्षा के लिए अलसगृह में आग लगा दी जाती है, जिसमें चार वास्तविक आलसियो को छोड़कर सभी भाग जाते हैं।
इन आलसियो को बचा लिया जाता है इस प्रकार आलस कथा में आलसियो के जीवन और व्यवहार का वर्णन है।