कर्मवीर शब्द से ही आभास होने लगता है कि निश्चित ही कोई ऐसा कर्मवीर है जो अपनी निष्ठा, उद्यम सेवा, भाव आदि के द्वारा उत्तम पद को प्राप्त किए हुए हैं।
प्रस्तुत पाठ में एक ऐसे ही कर्मवीर की चर्चा है जो अभावग्रस्त जीवन-यापन करते हुए भी स्नेहिल शिक्षक का साथ सात्रिध्य पाकर विविध बाधाओं से लड़ता हुआ।
एक दिन इस पद को प्राप्त कर लेता है। मनुष्य की जीवटलता निष्ठा सच्चरित्रता आदि गुणों से निश्चय ही सफलता की सीढ़ियों पर अग्रसारित करते हैं।
अतः हमें भी जीवटलता, निष्ठा आदि को आधार बनाकर सत्कर्म पर बने रहना चाहिए।