स्वामी दयानंद के माता-पिता भगवान शिव के उपासक थे। महाशिवरात्रि के दिन शिव पार्वती की पूजा इनके परिवार में विशेष रूप में मनाई जाती थी।
एक बार महाशिवरात्रि के दिन उन्होंने देखा कि एक चूहा भगवान शंकर की मूर्ति के ऊपर चढ़कर उन पर चढ़ाए हुए प्रसाद को खा रहा है।
इससे उन्हें विश्वास हो गया कि मूर्ति में भगवान नहीं होते इस प्रकार में मूर्ति पूजा के विरोधी हो गए।