स्वामी दयानंद सरस्वती की प्राथमिक शिक्षा (primary education) संस्कृत शिक्षा के रूप में प्रारंभ हुई।
अपनी शिक्षा से अभीप्रेरित स्वामी दयानंद समाज में नई शिक्षा पद्धति को प्रोत्साहित किया।
वह वैदिक साहित्य व भारतीय संस्कार के साथ पाश्चात्य वैज्ञानिक शिक्षा को भी आवश्यक मानते हुए नई व्यवस्था प्रारंभ की।
उन्होंने अपनी शिक्षा में स्त्री शिक्षा, अस्पृश्यता उन्मूलन, बाल विवाह का निवारण और कर्मकांड का निषेध पर बल दिया।
उन्होंने शिक्षा को ही समाज सुधार का प्रमुख अस्त्र माना। उनके विचारों पर आधारित शिक्षण संस्थाओं की स्थापना उनके अनुयायियों ने की है। गुरुकुल शिक्षा पद्धति आधारित अनेक डी ए वी विद्यालय संचालित है।