वर्ष 1930 में लाहौर षड्यंत्र कांड का निर्णय आया, जिसमें भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी की सजा सुनाई गई। 23 मार्च, 1931 को तीनों को फांसी दे दी गई।
हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के दो सदस्य भगत सिंह तथा बटुकेश्वर दत्त ने 8 अप्रैल, 1929 को केंद्रीय विधानसभा पर बम फेंके, दोनों को गिरफ्तार कर केंद्रीय असेंबली बम कांड के अंतर्गत मुकदमा चलाया गया।
बाद में H.S.R.A. के अन्य सदस्यों को भी गिरफ्तार कर क्रांतिकारियों के ऊपर लाहौर षड्यंत्र कांड के अंतर्गत मुकदमा चलाया गया।
उन तीनो के फांसी के समाचार से संपूर्ण देश मृत्यु सदृश उदासी में डूब गया। ।