भगत सिंह के अनुसार कष्ट सहकर भी देश सेवा की जा सकती है। कैसे? Bhagat Singh Ke Anusar Kasht Sahakar Bhi Desh Seva Ki Ja Sakti Hai Kaise?
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भगत सिंह के अनुसार कष्ट सहकर भी देश सेवा की जा सकती है। कैसे? Bhagat Singh Ke Anusar Kasht Sahakar Bhi Desh Seva Ki Ja Sakti Hai Kaise?

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भगत सिंह के अनुसार विद्यार्थी देश के कर्णधार होते हैं। आनेवाले समय में देश की बागडोर उन्हें अपने हाथ में लेनी है। उन्हें देश की समस्याओं और सुधार में हिस्सा लेना है। अतः देश के विकास के लिए विद्यार्थी को राजनीति में भाग लेना चाहिए।

क्योंकि सत्ता राजनीतिकों के हाथ में होती है। छात्र जीवन में विद्यार्थी को पढ़ाई के साथ-साथ अन्य सामाजिक कार्य भी देखने हैं। भगत सिंह मानते हैं कि नौजवान "वह चढ़ सकता है उन्नति की सर्वोच्च शिखर पर, वह गिर सकता है अर्द्धपतन के अंधेरे खंदक में।" विद्यार्थियों के हाथ में पतितों के उत्थान होते हैं।

वे ही क्रांति का संदेश देश के कोने-कोने में पहुँचा सकते हैं। फैक्ट्री, कारखाना, गंदी बस्तियों और गांवों की जर्जर झोपड़ियों में रहने वालों के बीच क्रांति की अलख जगा सकते हैं जिससे आजादी आएगी और तब एक मनुष्य द्वारा दूसरे मनुष्य का शोषण असंभव होगा। छात्रों में देश की समझदारी और समस्याओं में सुधार की योग्यता होना बेहद जरूरी है और जो शिक्षा ऐमा नहीं कर सकती है वह निकम्मी शिक्षा है, जो केवल देश में क्लर्क पैदा कर सकती है।

हम सभी जानते हैं हिन्दुस्तान को ऐसे सेवकों की जरूरत है जो तन, मन, धन देश पर अर्पित कर दे और पागलों की तरह पूरी उम्र देश सेवा में बिता दे। ये वही विद्यार्थी या नौजवान कर सकते हैं जो किन्हीं जंजालों में न फंसे हों। जंजालों में पड़ने से पहले विद्यार्थी तभी सोच सकते हैं यदि उन्होंने कुछ व्यावहारिक ज्ञान भी हासिल किया हो। यह व्यावहारिक ज्ञान ही राजनीति है। अतः विद्यार्थी पढे मगर साथ ही राजनीति का ज्ञान भी हासिल करे। देश को सही दिशा देने के लिए विद्यार्थी को राजनीति का पाठ जरूर पढ़ना चाहिए।

भगत सिंह कहते हैं कि देश को ऐसे देश सेवकों की जरूरत है जो तन-मन-धन देश पर अर्पित कर दें और पागलों की तरह सारी उम्र देश की आजादी के लिए या देश के विकास में न्योछावर कर दें। यह कार्य सिर्फ विद्यार्थी ही कर सकते हैं। सभी देशों को आजाद करने वाले वहाँ के विद्यार्थी और नौजवान ही हुआ करते हैं। वे ही क्रांति कर सकते हैं। अतः विद्यार्थी पढ़ें। साथ ही पॉलिटिक्स का भी ज्ञान हासिल करें और जब जरूरत हो तो मैदान में कूद पड़ें और अपना जीवन देश सेवा में लगा दें। अपने प्राणों को इसी में उत्सर्ग कर दें। यही अपेक्षाएँ हैं विद्यार्थियों से अमर शहीद भगत सिंह की ।

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