भारत का संविधान भारत को राज्यों का संघ (Union Of States) रूप में वर्णित करता है। भारत के संविधान का भाग I के अनुच्छेद 1 में देश को राज्यों का संघ कहा गया है।
डी.डी. बसु ने भारतीय संविधान को संघात्मक और एकात्मक का मिश्रण बताया है।
के.सी. व्हीयर ने भारत के संविधान को अर्द्धसंघात्मक कहा है ।
भारत राज्यों का संघ है, का अर्थ है - कि किसी राज्य को भारत से अलग होने का अधिकार नहीं है, क्योंकि राज्यों ने केंद्र को नहीं बनाया बल्कि केंद्र ने राज्यों को बनाया है। भारत का संविधान संघात्मक है या एकात्मक, यह विवादित प्रश्न है।
डॉ. अम्बेडकर ने कहा कि भारत का संविधान सामान्य स्थिति में संघात्मक है, लेकिन असाधारण स्थिति में एकात्मक हो जाता है।
संविधान विशेषज्ञ डायसी ने संविधान के संघात्मक होने की चार शर्ते रखी है -
(1) लिखित संविधान
(2) शक्तियों का बँटवारा
(3) संविधान की सर्वोच्चता और
(4) संविधान की व्याख्या करने वाली स्वतंत्र न्यायपालिका हो।
इस आधार पर भारत का संविधान भी संघात्मक है।