अकबर (Akbar) हिन्दू, जैनियों और मुसलमानों को एक समान दर्जा देता था। अकबर ये चाहता था कि मेरे राज्य में सभी तरह की शांति और स्थायित्व का स्रोत कायम रहे।
इनके बीच मध्यस्थता करता था तथा सुनिश्चित करता था कि न्याय और शांति बनी रहे। इसी क्रम में अकबर ने 1563 में तीर्थकर तथा 1564 में जजिया कर को समाप्त कर दिया।