1813 के चार्टर एक्ट (Charter Act of 1813) के द्वारा कम्पनी के भारतीय व्यापार के एकाधिकार को समाप्त कर दिया गया। यद्यपि उनका चीन के साथ तथा चाय के व्यापार का एकाधिकार बना रहा।
इस एक्ट के तहत एक लाख रुपया प्रतिवर्ष विद्वान भारतीयों को प्रोत्साहन तथा साहित्य के सुधार तथा पुनरुत्थान के लिए रखा गया।
कम्पनी का अधिकार भारतीय प्रदेशों तथा राजस्व पर नियन्त्रण का अधिकार 20 वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया।
ईसाई मिशनरियों को भारत में धर्म प्रचार के हेतु अनुमति मिली।
भारत में बसने तथा व्यापार करने के लिए अंग्रेज को लाइसेन्स लेना अनिवार्य किया गया।
इस एक्ट के द्वारा कलकत्ता, बम्बई तथा मद्रास सरकारों द्वारा बनाई गई विधियों का ब्रिटिश संसद में अनुमोदन अनिवार्य हो गया।