भूपर्पटी की गहराइयों में भौमिकीय परिवर्तनों के कारण तप्त क्षेत्रों में चट्टानें ऊपर की ओर धकेल दी जाती हैं।
जब भूमिगत जल इन तपे हुए स्थलों के संपर्क में आता है, तो भाप उत्पन्न होती है।
कभी-कभी तप्त जल को पृथ्वी के पृष्ठ से बाहर निकलने का निकास मार्ग मिल जाता है। जिसे गर्म-चश्मा या ऊष्ण स्रोत कहते हैं।
कभी-कभी भाप चट्टानों के बीच रुक जाती है और इसका दाब बहुत अधिक हो जाता है।
पाइप डालकर भाप को बाहर निकाल लिया जाता है और उसकी सहायता से विद्युत जनित्रों के द्वारा विद्युत उत्पन्न की जाती है।
अतः भौमिकीय परिवर्तनों के कारण भूपपर्टी की गहराइयों से तप्त स्थल और भूमिगत जल से बनी भाप से उत्पन्न ऊर्जा को भूतापीय ऊर्जा कहते हैं।