पकौड़ा बनाने के क्रम में कड़ाही से तेल सीधा अष्टावक्र की छाती पर आया। वह 'हाय माँ' कहकर वहीं गिर पड़ा। यह देखकर उसकी माँ का रोग न जाने कहाँ चला गया। वह सीधी डॉक्टर के पास पहुँची। सौभाग्य से तेल उछलता हुआ पड़ा था। इसलिए कुछ बाद अष्टावक्र उसकी जलन को सह गया। उसकी माँ ने तीव्र ज्वर में उसका थाल तैयार कर दिया। लेकिन जब वह लौटा, तो माँ में इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह उठकर उसका थाल ले लेती । अष्टावक्र को यह परिवर्तन अच्छा नहीं लगा थाल रखकर वह थोड़ी देर विमूढ़-सा बैठा रहा।